Driving License : भारत में टू-व्हीलर या फोर व्हीलर चलाने के लिए आपको ड्राइविंग लाइसेंस की जरूरत पड़ती है। बिना ड्राइविंग लाइसेंस के गाड़ी चलाना कानूनी अपराध है और इसके लिए आपको जुर्माना देना होगा या सजा भी हो सकती है।
लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में कितने प्रकार के ड्राइविंग लाइसेंस होते है? आज हम आपको भारत में मिलने वाली ड्राइविंग लाइसेंस के प्रकार पर एक नजर डालेंगे, साथ ही अंतर्राष्ट्रीय ड्राइविंग परमिट के बारे में भी समझेंगे।
लर्निंग लाइसेंस
परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस लेने से पहले आपको सड़क परिवहन प्राधिकरण द्वारा अस्थायी लर्निंग लाइसेंस दिया जाता है। ये आपको 6 महीने तक ट्रेनर के अंतर्गत ड्राइविंग का अभ्यास करने की परमिशन देता है।
इसके लिए आपको RTA के पास जरूरी दस्तावेज जमा करने होंगे और सफलतापूर्वक आवेदन करना होगा। अगर आपको ज्यादा समय की जरूरत है तो आप लर्निंग लाइसेंस की अवधि बढ़वा सकते है।
स्थायी या परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस
सीखने के चरण को सफलतापूर्वक पूरा करने और आयु आवश्यकताओं (आमतौर पर 18 वर्ष) को पूरा करने पर, व्यक्ति स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते है। परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस आपको ड्राइविंग टेस्ट पास करने के बाद दिया जाता है। अगर आप इस टेस्ट में पास नहीं होते है तो आपको एक सप्ताह बाद दोबारा टेस्ट देने का मौका दिया जाता है।
कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस
डिलीवरी वैन और ट्रक जैसे बड़े वाहनों को चलाने के लिए एक विशेष लाइसेंस की जरूरत होती है। इसे प्राप्त करने के लिए आपकी उम्र 18 वर्ष (कुछ राज्यों में 20 वर्ष) होनी चाहिए। सरकार द्वारा अनुमोदित संस्थान में प्रशिक्षण पूरा करना चाहिए, कम से कम आठवीं कक्षा पूरी करनी चाहिए, उनके पास वैध दस्तावेज़ होने चाहिए और उनके पास लर्नर लाइसेंस होना चाहिए।
इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट
अगर कोई विदेश में ड्राइविंग करना चाहता है तो इसके लिए इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस की जरूरत होती है। यह वैध घरेलू ड्राइवर लाइसेंस की पुष्टि करता है और अंतर्राष्ट्रीय ड्राइविंग को अधिकृत करता है।
यह विदेशी अधिकारियों द्वारा मान्यता प्राप्त होता है और आपको विदेश में ड्राइविंग करने की अनुमति देता है। इसकी लिमिट एक साल की होती है और इसे रिन्यू नहीं करवाया जा सकता। IDP प्राप्त करने के लिए वैध स्थायी ड्राइवर लाइसेंस और स्थानीय RTA को आवेदन जमा करना आवश्यक है।