Increase Motorcycle Mileage : आमतौर ट्यूब वाले टायर की तुलना में ट्यूबलेस टायर थोड़े महंगे होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ट्यूबलेस टायर बनाने की तकनीक और प्रक्रिया थोड़ी जटिल होती है।
इनमे हवा का रिसाव कम करने के लिए विशेष रबर और सीलिंग की आवश्यकता होती है, जिससे उनका निर्माण खर्च अधिक होता है। इसके अलावा ट्यूबलेस टायर ज्यादा पंचर नहीं होते हैं और इनमे रोलिंग रेजिस्टेंस कम होता है, जिससे ये अधिक लंबे समय तक बेहतर प्रदर्शन करते है और इन्हे मेंटेनेंस की कम जरूरत होती है।
जबकि ट्यूब वाले टायर की निर्माण प्रक्रिया आसान होती है और इनकी ट्यूब बदलने और मेंटेनेंस भी आसान व कम खर्चीला होता है।
आइये जानते है इन दोनों में फर्क :
1.कैसी होती है संरचना
ट्यूबलेस टायर : इनमे ट्यूब की जरूरत नहीं होती है बल्कि रिम और टायर के बीच हवा की सील बनाने के लिए विशेष प्रकार के रबड़ का इस्तेमाल किया जाता है। हवा सीधे टायर के अंदर रहती है और रिम के साथ एक सील बनाती है।
ट्यूब वाले टायर : इनके अंदर एक ट्यूब होती है जो टायर के अंदर हवा को सलंग्न करती है। ये रबड़ की बनी होती है और हवा को अंदर बनाए रखने का काम करती है।
2.पंचर प्रूफनेस
ट्यूबलेस टायर : इनमे हवा का रिसाव कम होता है और इसलिए ये पंचर के प्रति अधिक प्रतिरोधी होते है। छोटे पंक्चर स्वतः सील हो सकते हैं, जिससे आपातकालीन स्थिति में कम समस्या होती है।
ट्यूब वाले टायर : इनमे ट्यूब पंचर हो जाती है तो अंदर की हवा बाहर निकल जाती है।
ट्यूबलेस टायर आमतौर पर ट्यूब वाले टायर की तुलना में बेहतर माइलेज दे सकते हैं। इसके कुछ कारण है…..
कम रोलिंग रेजिस्टेंस
ट्यूबलेस टायर में कम रोलिंग रेजिस्टेंस होता है इसलिए बाइक की ईंधन दक्षता बेहतर हो सकती है।
पैचिंग और पंक्चर प्रूफनेस
ट्यूबलेस टायर में हवा का हिसाब कम होने के कारण यह अधिक पंचर प्रतिरोधी होते हैं। इसलिए इसमें कम हवा भरनी होती है और यह लंबे समय तक आपका साथ देते हैं।
वजन में हल्के :
ट्यूबलेस टायर में ट्यूब ना होने के कारण ये वजन में हल्के होते है। इससे बाइक का वजन भी कम हो जाता है और वह थोड़ा ज्यादा माइलेज देती है। हालांकि, सही टायर का चयन आपकी ड्राइविंग स्टाइल, सड़क की स्थिति और बाईक के प्रकार पर भी निर्भर करता है। कुछ परिस्थितियों में ट्यूब वाले टायर भी अच्छे प्रदर्शन दे सकते हैं।