कार-बाइक चालक जल्दी बनवा ले यह डॉक्यूमेंट! वरना कटेगा ₹10,000 का चालान…

PUC Certificate : देश और दुनिया में प्रदूषण एक भयंकर समस्या बन गई है। इसके साथ ही प्रदूषण के कारण कई सारी गंभीर समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है। वायु प्रदूषण के कारण कई सारी परेशानियों का सामना करते हुए लोगों को गंभीर बीमारियां भी हो रही हैं।

ऐसे में सरकार भी सख्त कदम उठा रही है और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का भी तगड़ा चालान काट रही है। ऐसे में आपके पास भी PUC सर्टिफिकेट होना जरूरी है। अगर आप बिना PUC पकड़े जाते है तो  आपको 6 महीने तक की जेल या ₹10,000 तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है.

क्या है PUC सर्टिफिकेट?

पॉल्यूशन सर्टिफिकेट को सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल, 1989 के तहत लाया गया। इस सर्टिफिकेट के द्वारा ट्रैफिक पुलिस कर्मचारी यह पता लगा लेते हैं कि गाड़ी कितना प्रदूषण फैल रही है और वह मानकों के हिसाब से सही है या फिर गलत। अगर कोई वाहन तय सीमा से ज्यादा प्रदूषण फैला रहा है तो उनके रोक दिया जाता है।

कैसे बनवाएंगे PUC सर्टिफिकेट?

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

PUC सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आपको अपने क्षेत्र के RTO या प्रदूषण के टेस्टिंग सेंटर जाना होगा। यहां पर एक अधिकारी इसकी जाँच करेगा और इंजेक्शन पाइप के माध्यम से एमीशन लेवल की जाँच की जाएगी। इसके बाद आपकी गाड़ी की नंबर प्लेट की तस्वीर लेने के बाद वे अधिकारी ही आपके वाहन का PUC सर्टिफिकेट जेनेरेट करेगा। इस PUC सर्टिफिकेट का लिंक आपके उस नंबर पर आएगा, दो फोन नंबर आपके वाहन से जुड़ा होगा।

कैसे करें PUC सर्टिफिकेट डाउनलोड

इसे डाउनलोड करने के लिए आपको व्हीकल ट्रांसपोर्ट पोर्टल पर जाना होगा। अब आपको PUC सर्टिफिकेट के ऑप्शन पर जाना होगा। अब अपने वाहन की जानकारी देनी होगी। अब व्हीकल रजिस्ट्रेशन नंबर और चेसिस नंबर की जानकारी देनी होगी और साथ में सेफ्टी कोड भी डालना होगा। अब PUC Details पर क्लिक करें जिसके बाद PUC सर्टिफिकेट खुल जायेगा और आप इसे डाउनलोड कर सकते है।

PUC सर्टिफिकेट करवाएं अपडेट

किसी भी नई गाड़ी या बाइक के लिए पॉल्यूशन सर्टिफिकेट 1 साल के लिए ही वैलिड होता है और बाद में इसे अपडेट करवाना होता है। रिन्यू करवाने के हर 6 महीने बाद इसे वापस अपडेट करवाना होता है। इसे रिन्यू करने या बनवाने के लिए आपको 60 से 100 रुपये का खर्चा सकता है। सरकार के इस PUC सर्टिफिकेट को अनिवार्य करने का उद्देश्य वायु प्रदूषण के खतरे को कम-से-कम करना है।