SH, NH And Expressway : हमारे देश भारत में पिछले कुछ सालों से सड़कों का जाल काफी ज्यादा फैल गया है और निर्माण भी बहुत हो रहा है। सड़कों का अधिक निर्माण होने के बाद कई लोग हवाई यात्रा और ट्रेन यात्रा के साथ ही अब कर से लंबी दूरी की यात्रा भी करते हैं। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि स्टेट हाईवे, नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे में क्या अंतर होता है? आईए जानते हैं विस्तार से…..
State Highway (SH)
स्टेट हाईवे एक राज्य के अंदर ही आपस में शहरों को जोड़ने के लिए बनाए जाते हैं और इन्हें बनाने का खर्चा भी राज्य सरकार ही उठाती है। इन सड़कों पर बनने वाले टोल प्लाजा से टोल टैक्स भी राज्य सरकार ही वसूलते हैं। इन पर स्पीड लिमिट और अन्य व्यवस्थाएं भी राज्य सरकार द्वारा दी जाती है। कई राज्य में स्टेट हाईवे पर 80 kmph की स्पीड दी जाती है। ये फोर लेन के बनाए जाते है।
National Highway (NH)
नेशनल हाईवे की मंजूरी केंद्रीय सड़क राज्य एंव परिवहन मंत्रालय द्वारा दी जाती है और इसके बाद इन्हें बनाया जाता है। नेशनल हाईवे की देखरेख NHAI द्वारा की जाती है। इनके जरिये कई राज्यों को जोड़ा जाता है। इन पर स्पीड लिमिट 80-100 kmph के बीच होती है। नेशनल हाईवे 6 लेन का बनाया जाता है और इन पर टोल टैक्स की वसूली NHAI द्वारा की जाती है।
Expressway
पिछले कुछ सालों में भारत में काफी तेजी से एक्सप्रेसवे का निर्माण हो रहा है। जिनमें मुख्य तौर पर दिल्ली-मुंबई, द्वारका एक्सप्रेसवे, दिल्ली-देहरादून-कटरा जैसे एक्सप्रेसवे शामिल है। इन्हे बनाने का काम भी केंद्र सरकार ही करती है और NHAI इनकी देखरेख और इनसे टोल वसूली करता है। इन्हे एक्सेस कंट्रोल के साथ बनाया जाता है जो नेशनल हाईवे से बेहतर होते है। ये कई राज्यों और शहरों को जोड़ते हुए 1000 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबे होते है। इन्हे 6 से 8 लेन का बनाया जाता है। एक्सेस कंट्रोल के कारण इन पर स्पीड लिमिट 100 से 120 किलोमीटर की होती है।