Flex-Fuel वाहन कैसे करते हैं काम? यहां जानिए फायदे और नुकसान…

Flex Fuel Vehicle : भारत में धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक वाहन के साथ ही अब Flex-Fuel का भी काफी नाम सुनने को मिल रहा है। आने वाले समय में Flex-Fuel स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FFV-SHEV) बड़ा रोल अदा करने वाले है।

इस बारे में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी बात की है और पिछले साल भारत में पहली फ्लेक्स फ्यूल वाली कार पेश की थी। आइये जानते है इसका इंजन किस तरह काम करता है और इनका फायदा क्या है?

क्या होते है फ्लेक्स फ्यूल

Flex-Fuel वाहन 100% पेट्रोल या 100% बायो एथेनॉल और इन दोनों के मिश्रण के संयोजन से चलने में सक्षम होते है। ये खास रूप से फ्लैक्सिबल फ्यूल होता है जो गाड़ी के ICE इंजन के साथ काम करता है। ये पेट्रोल और डीजल के साथ ही इनके मिश्रण पर भी चल सकता है। इसके साथ ही ये पेट्रोल और डीजल इंजन के मुकाबले कम प्रदूषण करते है।

कैसे काम करता है फ्लेक्स फ्यूल इंजन

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फ्लेक्स-फ्यूल इंजन फ्यूल मिक्स सेंसर और इंजन कंट्रोल मॉड्यूल (ECM) प्रोग्रामिंग से लैस होते है। ये इंजन मिश्रित ईंधन के किसी भी अनुपात को समायोजित कर सकते है। ये इंजन खास तौर पर फ्यूल पंप और फ्यूल इंजेक्शन सिस्टम को एडजस्ट करने के लिए इथेनॉल-कॉम्पेटिवल कंपोनेंट्स का उपयोग करते हैं।

देश की पहली फ्लेक्स फ्यूल वाली कार

हाल ही में Toyota Motors ने अपनी कोरोला एलटिस में पायलट प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में फ्लेक्स फ्यूल इंजन लगाया था। केंद्र सरकार द्वारा गन्ने से प्राप्त ईंधन के मिक्सचर को मंजूरी मिलने के बाद इथेनोल-मिश्रित पेट्रोल पर चलने वाली पहली कार थी। आपको बता दें कि फ्लेक्स-फ्यूल इंजन पहले से ही संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील, यूरोपीय संघ और चीन जैसे देशों में काफी पॉपुलर हैं।